सीमा जागरण मंच
देश की रक्षा धर्म हमारा, देश की सेवा कर्म हमारा
गूंज उठेगा जल थल अम्बर, जग में गौरव गान
सरहद तुझे प्रणाम
उद्देश्य
सीमावर्ती देशों की विस्तारवादी नीतियों ने राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा के प्रश्न को और जटिल बना दिया है। देश की समुचित उन्नति और विकास के लिए 15,106.7 किमी लम्बी जमीनी और 7,516.6 किमी लम्बी सागरीय सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना नितांत आवश्यक है। इसका दायित्व राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के साथ-साथ सामान्य नागरिक का भी है। समाज को सीमा सुरक्षा के प्रति संवेदनशील, जागृत, संगठित और देश-भक्ति से अनुप्राणित बनाए बिना सीमा सुरक्षा का कार्य अधूरा है। इस ध्येय को साकार करने की दिशा में "सीमा जागरण मंच" वर्ष 1985 से कार्यरत है। भारत के सभी सीमान्त जमीनी और समुद्र-तटवर्ती राज्यों में मंच के कार्य का विस्तार है। हमारा मानना है कि सुरक्षित सीमा ही समर्थ भारत का आधार है।
सीमाओं पर गंभीर चुनौतियाँ
1. सीमान्त क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं अर्थात् शुद्ध-जल, शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन और दूर-संचार के साधनों का अभाव।
2. जनसंख्या असंतुलन बनाम बांग्लादेशी घुसपैठ, अलगाववाद, आतंकवाद, धर्मान्तरण तथा राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का संचालन।
3. मानव, गोधन, जाली मुद्रा, घातक हथियारों, दुर्लभ जड़ी-बूटियों, औषधियों और बहुमूल्य पदार्थों की तस्करी के मजबूत तन्त्र का बनना ।
4. वोट बैंक एवं तुष्टिकरण की राजनीति के कारण अवैध गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों एवं संस्थाओं का संरक्षण ।
5. केंद्र व राज्य सरकार की संस्थाओं के मध्य उचित व पर्याप्त समन्वय और संवाद की कमी।
6. राष्ट्रीय विकास नीति और योजना के उचित क्रियान्वयन का अभाव।
7. केन्द्र व राज्य के सुरक्षा तन्त्र तथा आम-जन में परस्पर संवाद का अभाव ।
8. सरकारी जमीनों के अतिक्रमण का सुनियोजित षड्यंत्र ।
9. बेरोजगारी के कारण स्थानीय निवासियों का पलायन ।
10. सीमावर्ती क्षेत्र में पर्याप्त सामाजिक और राष्ट्रीय-चेतना का अभाव।
सीमा जागरण मंच की कार्य-प्रणाली
1. सीमा जागरण मंच की गतिविधियों के प्रभावी संचालन के लिए सीमावर्ती ग्राम, शक्ति केंद्र, खण्ड, जिला और राज्य स्तर पर
कार्यकर्ता-टोलियों का गठन किया जाता है।
2. संगठन के कार्य-विस्तार एवं कार्यकर्ता-विकास हेतु प्रतिवर्ष एक अखिल भारतीय तथा एक निकटवर्ती देश की सीमा के अनुसार कार्य योजना व समीक्षा बैठक आयोजित की जाती है।
3. जिला और राज्य स्तर पर वार्षिक कार्यकर्ता प्रशिक्षण-अभ्यास वर्ग का आयोजन किया जाता है।
4. सीमान्त समाज में सीमा सुरक्षा विषयक जन-जागरण हेतु खण्ड एवं जिला स्तर पर विचार गोष्ठी तथा प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।
5. सीमान्त क्षेत्र में राष्ट्रवादी युवा नेतृत्व विकसित करने के लिए खण्ड और जिला स्तर पर विशेष प्रशिक्षण कैम्पों तथा शारीरिक-स्पर्धा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
6. समाज को नेतृत्व-प्रदान करने वाले व्यक्तियों एवं संस्थाओं (सरकारी व गैर सरकारी) से विशेष सम्पर्क करके उन्हें सीमा-सुरक्षा के प्रति गंभीर और संवेदनशील बनाने का प्रयास किया जाता है।
7. सीमा सुरक्षा तन्त्र एवं समाज के नेतृत्व के मध्य सम्पर्क, सहयोग तथा संवाद स्थापित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित
किए जाते हैं।
8. राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न ईकाइयों के साथ विशेष सम्पर्क करके सीमान्त क्षेत्रों की चुनौतियों के समाधान हेतु संवाद स्थापित किया जाता है।
सीमा जागरण मंच के कार्यक्रम और गतिविधियाँ
1. उत्सव आयोजन: सीमा सुरक्षा बलों के साथ रक्षाबंधन व दीपावली कार्यक्रमों का आयोजन ।
2.भारत माता पूजन कार्यक्रम विशेषतः युवा वर्ग के साथ।
3. विजयदशमी उत्सव: सीमान्त नागरिकों के मध्य शक्ति पूजन के कार्यक्रम।
4. स्थापना दिवस (रामनवमी): समाज-प्रबोधन के कार्यक्रम।
5. समुद्र तटीय क्षेत्रों में मत्स्य पूजन, समुद्र पूजन, व्यास पूजन, नौका स्पर्धा कार्यक्रम ।
6. सीमान्त क्षेत्र में अभावग्रस्त परिवारों के मेधावी विद्यार्थियों हेतु न्यूनतम शुल्क पर छात्रावास की सुविधा प्रदान करना।
7. अन्य गतिविधियाँ: सीमा सुरक्षा संकल्प तिरंगा यात्रा, विभिन्न खेल प्रतिस्पर्धाएँ एवं विभिन्न स्थानों पर सेना भर्ती तैयारी कैम्प का आयोजन ।
8. सीमाओं के प्रति एकात्म-भाव निर्माण करने के लिए सीमा दर्शन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करना ।
9. सजीव परम्पराओं के संवहन, विरासत स्थलों के पुनर्जीवन और रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक मेलों का आयोजन।
सीमा जागरण मंच, दिल्ली एक दृष्टि
देश की राजधानी होने के कारण दिल्ली का महत्व निर्विवाद है, इसके साथ-साथ सीमा क्षेत्र में सुरक्षा व विकास से संबंधित नीतियों के नियमन, निर्धारण व कियान्वयन करने वाली सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं, विशेषज्ञों तथा प्रबुद्ध व्यक्तियों का केंद्र भी है। इन संस्थाओं और दिल्ली स्थित मूलतः सीमावर्ती क्षेत्र के व्यक्तियों से संपर्क-संवाद-समन्वय स्थापित कर सीमाओं को सुदृढ़ व समृद्ध बनाने के लिए सीमा जागरण मंच, दिल्ली में निम्नलिखित गतिविधियों का भी संचालन करता है;
1. देश की सीमाओं के अध्ययन व समस्याओं के समाधान के लिए चार कार्य विभाग है: संपर्क, मीडिया, एनजीओ एवं सीमा अध्ययन केंद्र ।
2. सीमावर्ती क्षेत्र से दिल्ली में आकर रहने वाले निवासियों को मंच से जोड़ना व सीमावर्ती प्रदेश अनुसार संगठन बनाना।
3. सीमाओं के प्रति सामाजिक जागरूकता लाने व राष्ट्रीय एकात्मता का भाव निर्माण करने के लिए विचार गोष्ठी, भारत माता पूजन व सीमा दर्शन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करना।
सीमा सुरक्षा के लिए आह्वान
भारत के सम्मान और संप्रभुता को विश्व पटल पर अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए सीमाओं की सुरक्षा अति आवश्यक है। भीष्म पितामह के शब्दों में "देश की सीमा माता के वस्त्र के समान होती है एवं उसकी रक्षा करना पुत्र का प्रथम कर्तव्य है।" हमारे पूर्वजों और मनीषियों ने इस महत्व को समझा था और इसके पालन के लिए सर्वस्व अर्पित करने के उदाहरण रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया था। इसीलिए भारत अतीत काल से अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करते हुए भी सुरक्षित रहा। लेकिन वर्तमान समय में एक बार फिर से भारत की सामरिक स्थिति पर आघात हो रहा है इसलिए आओ हम सभी राष्ट्र युग धर्म के प्रति अपने कर्त्तव्य पालन के लिए कृत-संकल्प हों....
"हे मातृ-भूमि तेरे लिये मरना ही जीना है
और तुझे भूलकर जीना भी मरना है'
-स्वातंत्र्य वीर सावरकर
भारतभूमि, यह देवभूमि है, संसार की कोई शक्ति भारत को कभी भी नष्ट न कर सकेगी,
इसके कण-कण में मुझे पवित्र शक्ति के दर्शन होते हैं, यह तो वंदनीय स्थान है।
-भगिनी निवेदिता
मेरा बलिदान सार्थक होने से पहले
अगर मृत्यु दस्तक देगी तो संकल्प लेता हूँ कि मैं
मृत्यु को भी मार डालूँगा।
-शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डे
परमवीर चक्र, 1/11 गोरखा राईफल्स
‘सीमा संघोष’ देश की जानी-मानी मासिक पत्रिका है। सीमा जागरण मंच के मुखपत्र के रूप में सीमा संघोष पत्रिका को जाना जाता है। सीमा संघोष सीमा जागरण मंच की एक पहल है। सीमा संघोष दिल्ली से प्रकाशित होने वाली पत्रिका है। सीमा जागरण मंच की गतिविधियाँ भारतदेश के समस्त सीमावर्ती प्रांतों में चलती हैं। इनमें सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन की जटिलताओं और समस्याओं को जानने-समझने के साथ ही देश की सीमांत सुरक्षा के लिए सीमांप्रदेशीय क्षेत्रों की आवश्यकताओं का विशद-व्यापक अध्ययन भी सम्मिलित है। सीमा संघोष पत्रिका की विषयवस्तु इसी पक्ष पर केंद्रित होती है। सीमा संघोष पत्रिका का ध्येय है- “सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित सामान्य ज्ञान, सूचनाएँ एवं समाचारों को देश के नागरिकों तक पहुँचाना।“
देश की स्वाधीनता के बाद से ही लगातार इस बात की आवश्यकता पड़ती रही है कि देश की सीमाओं के प्रति देश के सभी नागरिक जागरूक हों। सीमावर्ती क्षेत्रों की समस्याओं को जान-समझकर इन क्षेत्रों के लिए अपेक्षित और आवश्यक सुविधाओं-संसाधनों आदि को विकसित करने के लिए देश के नीति-नियंताओं को सचेत किया जाए। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारिता की आवश्यकता जितनी देश के आंतरिक भागों में है, उतनी ही सीमावर्ती क्षेत्रों में भी है, किंतु ये प्रायः अछूते ही रहे। इस कारण सीमावर्ती क्षेत्रों की आवश्यकताएँ, सुरक्षात्मक उपायों के लिए अपेक्षित संसाधनों की उपलब्धता और साथ ही विकासात्मक गतिविधियाँ तेजी से और साथ ही सुचारु रुप से नहीं चल सकीं। ऐसी अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए सीमा संघोष पत्रिका एक माध्यम के रूप में अपना स्थान रखती है।
देश की आंतरिक सुरक्षा के सीमांतप्रदेशीय गतिविधियों के साथ जुड़े पक्षों को ध्यान में रखते हुए सीमा संघोष में आंतरिक सुरक्षा व सामयिक विषयों को भी समेटा जाता है। सीमा संघोष पत्रिका का विषय-क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। सीमावर्ती क्षेत्रों की सांस्कृति व सामाजिक विशिष्टताओं और महत्त्वपूर्ण स्थलों के बारे में भी पत्रिका जानकारी साझा करती है। सीमा संघोष के मातृ संगठन सीमा जागरण मंच के कार्यक्षेत्र में सीमा-दर्शन की योजना भी है। इसके अंतर्गत अध्येताओं के दल देश के विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों में जाते हैं और अपने अनुभवों को सीमा संघोष पत्रिका के लिए आलेखों के रूप में उपलब्ध कराते हैं।
सीमा संघोष पत्रिका का एक उपक्रम “सीमा संघोष डिजिटल आयाम” भी है। इसके अंतर्गत सीमा संघोष की गतिविधियों को; साथ ही संदर्भगत समाचारों, सूचनाओं, जानकारियों आदि को सोशल नेटवर्किंग के विभिन्न पटलों पर उपलब्ध कराया जाता है। सीमा संघोष के फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम आदि पटलों पर पन्ने हैं, जिनमें अनेक जानकारियाँ उपलब्ध होती हैं।
सीमा संघोष पत्रिका सामान्य पाठकों के लिए उपयोगी होने के साथ ही इसमें रक्षा क्षेत्र में नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए भी अध्ययन-सामग्री उपलब्ध होती है। अन्य क्षेत्रों, जैसे- रक्षा-अध्ययन, सीमांत सुरक्षा अध्ययन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति आदि विषयों के अध्येताओं के लिए उपयोगी पत्रिका है। इस कारण पत्रिका की लोकप्रियता सभी वर्ग और स्तर के पाठकों के मध्य है। सीमा संघोष पत्रिका के स्थायी स्तंभों में आवरण कथा के साथ ही सामयिक विषयों पर सारगर्भित आलेख व “क्या आप जानते हैं?” स्तंभ में सीमा से जुड़े समाचारों के साथ ही अन्य जानकारियाँ दी जाती हैं।
सीमा संघोष के संपादक मंडल में पत्रकारिता से जुड़े अनुभवी पत्रकारों के साथ ही राजशास्त्र, सैन्य अध्ययन आदि विषयों के प्राध्यापक गण, सेना के सेवानिवृत्त अधिकारीगण एवं शोधार्थी जुड़े हुए हैं। सुंदर कलेवर में पत्रिका की मुद्रित प्रतियों के साथ ही साफ्ट प्रतियाँ (पीडीएफ प्रति) भी उपलब्ध होती हैं। पत्रिका आरएनआई व आईएसएसएन में पंजीकरण हेतु सक्रिय है।
सीमा संघोष अपने नाम के अनुरूप सीमा की सुरक्षा के लिए आह्वान करने वाली पत्रिका है। अपने मातृ संगठन सीमा जागरण मंच के सिद्धांत-वाक्य- ‘सुरक्षित सीमा ही समर्थ भारत का आधार है।“, को आत्मसात करते हुए राष्ट्रवादी लेखकों, रक्षा-विशेषज्ञों और अध्येताओं को एक मंच प्रदान करता है। सीमावर्ती देशों की विस्तारवादी नीतियों के विरुद्ध देश के लोगों को जागरूक करने का कार्य भी सीमा संघोष पत्रिका के द्वारा किया जा रहा है। छोटे-से अंतराल में ही पत्रिका ने अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है।
सीमा सुरक्षा के लिए आह्वान
भारत के सम्मान और संप्रभुता को विश्व-पटल पर अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए सीमाओं की सुरक्षा अति आवश्यक है। भीष्म पितामह के शब्दों में- “देश की सीमा माता के वस्त्र के समान होती है एवं उसकी रक्षा करना पुत्र का प्रथम कर्तव्य है।“ हमारे पूर्वजों और मनीषियों ने इस महत्व को समझा था और इसके पालन के लिए सर्वस्व अर्पित करने के उदाहरण रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया था। इसलिए भारत अतीत-काल से अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करते हुए भी सुरक्षित रहा। लेकिन वर्तमान समय में एक बार फिर से भारत की सामरिक स्थिति पर आघात हो रहा है इसलिए आओ हम सभी राष्ट्र युग धर्म के प्रति अपने कर्त्तव्य पालन के लिए कृत-संकल्प हों...
हे मातृ-भूमि तेरे लिये मरना ही जीना है
और तुझे भूलकर जीना भी मरना है"
~स्वातंत्रय वीर सावरकर
मेरा बलिदान सार्थक होने से पहले अगर
मौत दस्तक देगी तो संकल्प लेता हूँ की मैं
मौत को भी मार डालूँगा
~शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डे
परमवीर चक्र, 1/11 गोरखा राईफल्स